Friday, January 25, 2013

स्वभाव को सुधारना बड़ा मुश्किल काम है. इसीलिए कहा गया है: कस्तूरी की क्यारी करी, केशर की बनी खाद पानी दिया गुलाब का, रह गई ज्यो की त्यों सत्कर्म का पुष्प जब तक ठीक ठीक न बढ़ जाये, तब तक स्वभाव नहीं सुधर पाता. स्वभाव को बदलने के किये सत्संग से प्राप्त सूत्रों को आत्मसात करना जरुरी है.हम सत्संग में अच्छी अच्छी बातें सुनते हैं. जिनमे से ज्यादातर हम सभी जानते भी हैं. मगर क्या हम उनपर अमल भी करते हैं? अगर नहीं करते तो सत्संग का जितना लाभ हमें मिलना चाहिए था, वो नहीं मिलता. बाज़ार में हम जब कुछ खरीदते हैं तो अपने रुपयों को खर्च करते समय यह देखना नहीं भूलते की हम जो खरीद रहें हैं वो वास्तु उतने रुपयों की ही है. मगर जिंदगी का बहुमूल्य समय अति दुर्लभ सत्संग में जाकर भी कुछ सीखे बिना अपने जीवन को पूर्ववत ही रखते हैं तो इसे सिर्फ श्रम ही कहा जा सकता है. अपना जीवन, स्वभाव बदलना अपने ऊपर है. जय गुरु

Monday, January 31, 2011

Monday, August 30, 2010

दौरे हाज़िर

दौरे हाज़िर में कोई आज ज़मीं से पूछे
आज इंसान कहाँ तूने छुपा रखा है ?

वो तो खुदगर्जी है ,लालच है, हवस है जिसका
नाम इस दौर के इन्सां ने वफ़ा रखा है

Monday, May 31, 2010

भजन - ऐसा प्यार बहा दे

या देवी सर्वभूतेषू दयारूपेण संस्तत,
नमस्तस्यै नमस्तयै नमस्तयै, नमस्तस्यै नमो नमः ।।

ऐसा प्यार बहा दे मैया, चरणों से लग जाऊ मैं ।
सब अंधकार मिटा दे मैया, दरस तेरा कर पाऊं मैं ।।

जग मैं आकर जग को मैया, अब तक न मैं जान सका
क्यों आया हूँ कहाँ है जाना, अब तक न पहचान सका
तुम हो अगम अगोचर मैया, कहो कैसे लख पाऊं मैं ?

कर कृपा जगदम्बे भवानी, मैं बालक नादान हूँ
नहीं आराधन जप तप जानूं, मैं अवगुण की खान हूँ
दे ऐसा वरदान हे मैया, निशदिन तुम गुण गाऊं मैं

देवता ने आज

किस देवता ने आज मेरा दिल चुरा लिया
दुनियां की खबर ना रही, तन को भुला दिया

रहता था पास में सदा लेकिन छिपा हुआ
करके दया दयाल ने परदा उठा लिया ।
मेरा.....

सूरज न था न चांद था, बिजली न थी वहां
इकदम वो अजब शान का जलवा दिखा दिया ।
मेरा....

फिरके जो आंख खोल कर ढ़ूंढ़न लगा उसे
गायब था नजर से कोर्इ फिर पास पा लिया ।
मेरा....

करके कसूर माफ मेरे जनम जनम के
"ब्रहमानंद' अपने चरण में मुझको लगा लिया ।
मेरा...